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Bye 2020 Corona (Covid-19) Special Funny Poem in Hindi

Good Bye 2020 Corona (Covid-19) Poem in Hindi : आखिर 2020 का उठापटक से भरा हुआ साल गुजर ही गया। यह साल इतना उठापटक भरा रहा कि इस साल को देखने वाले लोग कभी भी 2020 year को नहीं भूलेंगे। कोरोना महामारी, लॉकडाउन और भूकंप और ना जाने क्या-क्या? Special Bye 2020 और Welcome 2021 पर Best Quotes and Images नया और मजेदार Status Bye 2020 और Welcome 2021 पर खास 2020 के विदाई पर मज़ेदार और Funny Status इन्हीं सारे अनुभवों को ध्यान में रखते हुए हमने Corona special bye 2020 poem लिखा है। Corona Special Bye 2020 Funny Poem 2020 तूने बहुत सताया रे | मज़ेदार कविता 2020 तूने बहुत सताया रे कोरोना महामारी फैलाया रे कहां सब गले मिलकर हंसते थे साथ बैठकर बात किया करते थे तूने कॉरोना महामारी फैलाया रे 2020 तूने बहुत सताया रे कहां सब घूमने के लिए आजाद थे बाहर मस्ती करते दिन रात थे तूने लॉकडाउन लगाए रे 2020 तूने बहुत सताया रे कहां सब छुट्टियों के लिए तरसते थे छुट्टी की कामना किया करते थे कहां तूने घर बिठा-बिठाकर पकाया रे 2020 तूने बहुत सताया रे $ads={1} कहां बाहर के काम

Goodbye 2020 Year Poem | अलविदा 2020 विदाई कविता

नए साल का स्वागत करना जितना ज्यादा जरूरी है, उतना ही ज्यादा जरूरी है पिछले साल की विदाई करना। क्योंकि अब 2020 कभी वापस नहीं आएगा। इस साल ने पूरे 365 दिन हमारा साथ निभाया। बीते वर्ष हम सबने बहुत कुछ खोया और बहुत कुछ पाया है। इसलिए हम खास आपके लिए Special Goodbye 2020 Year Poem, अलविदा 2020 विदाई कविता लेकर आए हैं। Bye 2020 Corona (Covid-19) Special Funny Poem in Hindi Corona (Covid-19) Special Bye 2020 और Welcome 2021 Funny Shayari और Quotes जब हमने गूगल में साल की विदाई शायरी सर्च किया। तब हमें happy new year shayari in Hindi बहुत सारे मिल गए, लेकिन पुराने साल को विदाई देने वाली शायरी नहीं मिली। इसीलिए हमने सोचा कि क्यों ना हम ही बीते वर्ष को विदाई देती कविताएं लिख दें। तो बस हमने लिख दिया। हमें पक्का यकीन है कि ये पुराने साल की विदाई कविताएं आपको बहुत पसंद आई होगी। पुराने साल की विदाई कविता | Goodbye 2020 Poem कविताओं से पहले आप हमारी नववर्ष शुभकामाएं तो ले लीजिए। मेरी तरफ से आपको नया

बंद होंठों में छुपा लो Band Hoton Mein Chupa Lo | Kunwar Bechain

बंद होंठों में छुपा लो Band Hoton Mein Chupa Lo | Kunwar Bechain वरना रो पड़ोगे - कुँवर बेचैन बंद होंठों में छुपा लो ये हँसी के फूल वरना रो पड़ोगे। हैं हवा के पास अनगिन आरियाँ  कटखने तूफान की तैयारियाँ कर न देना आँधियों को रोकने की भूल वरना रो पड़ोगे। हर नदी पर अब प्रलय के खेल हैं हर लहर के ढंग भी बेमेल हैं फेंक मत देना नदी पर निज व्यथा की धूल वरना रो पड़ोगे। बंद होंठों में छुपा लो ये हँसी के फूल वरना रो पड़ोगे। - कुँवर बेचैन 🌺🌺🌺 Band Hothon Me Chhupa Lo Lyrics In English Love Poem - Varna Ro Padoge Band honThon men chhupaa lo Ye hansii ke fool Varna ro padoge. Hain havaa ke paas Angeen aariyaan katkhane Toofaan kii taiyyariyan Kar n dena aandhiyon ko Rokne ki bhool Varna ro padoge. Har nadi par Ab pralay ke khel hain Har lahar ke dhang bhii bemel hain Fenk mat denaa nadii par Nij vyatha ki dhool Varna ro padoge. Band hothon me chhupa lo Ye hansi ke fool Varna ro padoge. - Kunwar Bechain Read More Love Poems

Dard Minnat-Kash-e-Dava Na Hua - Mirza Ghalib

Dard Minnat-Kash-e-Dava Na Hua - Mirza Ghalib दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ जम्अ करते हो क्यूँ रक़ीबों को इक तमाशा हुआ गिला न हुआ हम कहाँ क़िस्मत आज़माने जाएँ तू ही जब ख़ंजर-आज़मा न हुआ कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ है ख़बर गर्म उन के आने की आज ही घर में बोरिया न हुआ क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी बंदगी में मिरा भला न हुआ जान दी दी हुई उसी की थी हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ ज़ख़्म गर दब गया लहू न थमा काम गर रुक गया रवा न हुआ रहज़नी है कि दिल-सितानी है ले के दिल दिल-सिताँ रवाना हुआ कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं आज 'ग़ालिब' ग़ज़ल-सरा न हुआ - मिर्ज़ा ग़ालिब Dard Minnat-Kash-e-Dava Na Hua Lyrics In English Dard minnat-kash-e-dava na hua Main na achchha hua bura na hua Jam karate ho kyun raqibo ko Ek tamasha hua gila na hua Hum kahan qismat aazamane jayen Tu hi jab khanjar-aazama na hua Kitane sheerin hain tere lab ki raqeeb Gaaliyan kha ke be-maza na hua Hai khabar garm un ke aane ki Aaj hi ghar mein bor

Aah Ko Chahiye Ek Umra Asar Hote Tak - Mirza Ghalib

Aah Ko Chahiye Ek Umra Asar Hote Tak - Mirza Ghalib आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को फ़ना की ता'लीम मैं भी हूँ एक इनायत की नज़र होते तक यक नज़र बेश नहीं फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर होते तक ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र काबा मिरे पीछे है कलीसा मिरे आगे आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे ख़ुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते आई शब-ए-हिज्राँ की तमन्ना मिरे आगे है मौजज़न इक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ काश यही हो आता है अभी देखिए क्या क्या मिरे आगे गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है रहने दो अभी स

Mat Puchh Ki Kya Haal Hai Mera Tire Pichhe - Mirza Ghalib

Mat Puchh Ki Kya Haal Hai Mera Tire Pichhe - Mirza Ghalib बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे इक खेल है औरंग-ए-सुलैमाँ मिरे नज़दीक इक बात है एजाज़-ए-मसीहा मिरे आगे जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मंज़ूर जुज़ वहम नहीं हस्ती-ए-अशिया मिरे आगे होता है निहाँ गर्द में सहरा मिरे होते घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मिरे आगे मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछे तू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे सच कहते हो ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा हूँ न क्यूँ हूँ बैठा है बुत-ए-आइना-सीमा मिरे आगे फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा क्यूँकर कहूँ लो नाम न उन का मिरे आगे - मिर्ज़ा ग़ालिब Bazicha-E-Atfaal Hai Duniya Mire Aage Lyrics In English Bazicha-e-atfaal hai duniya mire aage Hota hai shab-o-roz tamasha mire aage Ik khel hai aurang-e-sulaiman mire nazadik Ik baat hai ejaaz-e-masiha mire aage Juz naam nahin surat-e-aalam mujhe manzur Juz vaham nahin hasti-e-ashiya mire a

Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish Pe Dam Nikle - Mirza Ghalib Ghazal

Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish Pe Dam Nikle - Mirza Ghalib हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले हुई जिन से तवक़्क़ो' ख़स्तगी की दाद पाने की वो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइ'ज़ पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले - मिर्ज़ा ग़ालिब Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish

Har Ek Baat Pe Kahate Ho Tum Ki Tu Kya Hai - Mirza Ghalib

Har Ek Baat Pe Kahate Ho Tum Ki Tu Kya Hai  - Mirza Ghalib हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा कोई बताओ कि वो शोख़-ए-तुंद-ख़ू क्या है ये रश्क है कि वो होता है हम-सुख़न तुम से वगर्ना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़ी-ए-अदू क्या है चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन हमारे जैब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है वो चीज़ जिस के लिए हम को हो बहिश्त अज़ीज़ सिवाए बादा-ए-गुलफ़ाम-ए-मुश्क-बू क्या है पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार ये शीशा ओ क़दह ओ कूज़ा ओ सुबू क्या है रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी तो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता वगर्ना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है - मिर्ज़ा ग़ालिब Har Ek Baat Pe Kahate Ho Lyrics In English Har ek baat pe kahate ho tum ki tu kya hai Tumheen kaho ki ye

Geet Nahi Gata Hoon Lyrics - Atal Bihari Vajpayee

Geet Nahi Gata Hoon Lyrics - Atal Bihari Vajpayee गीत नहीं गाता हूं के बोल हिंदी में बेनकाब चेहरे हैं दाग बड़े गहरे हैं टूटता तिलिस्म आज सच से भय खाता हूं गीत नहीं गाता हूं ~~~ लगी कुछ ऐसी नज़र बिखरा शीशे सा शहर अपनों के मेले में मीत नहीं पाता हूं गीत नहीं गाता हूं~~~ पीठ मे छुरी सा चांद राहू गया रेखा फांद मुक्ति के क्षणों में बार बार बंध जाता हूं गीत नहीं गाता हूं~~~ - अटल बिहारी वाजपेयी हार नहीं मानूँगा रार नहीं ठानूँगा - अटल बिहारी वाजपेयी आओ फिर से दिया जलाएँ लिरिक्स  Geet Nahi Gata Hoon Lyrics In English Benakab chehare hain,  Daag bade gahare hain Tootata tilism aaj Sach se bhay khaata hoon Geet nahi gata hoon~~~ Lagi kuchh aisi nazar Bikhara sheeshe sa shahar Apano ke mele mein Meet nahin pata hoon Geet nahi gata hoon~~~ Pith me chhuri sa chand Rahu gaya rekha phand Mukti ke kshano mein Baar baar bandh jaata hoon Geet nahi gata hoon~~~  - Atal Bihari Vajpayee

Haar Nahi Manunga Rar Nahi Thanunga Lyrics - Atal Bihari Vajpayee

हार नहीं मानूँगा रार नहीं ठानूँगा - अटल बिहारी वाजपेयी गीत नया गाता हूं के बोल हिंदी में टूटे हुए तारों से फूटे बासंती स्वर पत्थर की छाती मे उग आया नव अंकुर झरे सब पीले पात कोयल की कुहुक रात प्राची में अरुणिम की रेख देख पता हूं गीत नया गाता हूं ~~~ टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी अन्तर की चीर व्यथा पलकों पर ठिठकी हार नहीं मानूंगा रार नहीं ठानूंगा काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूं गीत नया गाता हूं ~~~ - अटल बिहारी वाजपेयी Geet Nahi Gata Hoon Lyrics - Atal Bihari Vajpayee आओ फिर से दिया जलाएँ लिरिक्स  Geet Naya Gata Hoon Lyrics In English Toote hue taaron se phute basanti swar Patthar ki chhati me oog aaya nav ankur Jhare sab pile paat koyal ki kuhuk raat Prachi mein arunim ki rekh dekh pata hoon Geet naya gata hoon ~~~ Toote hue sapnon ki kaun sune sisaki Antar ki cheer vyatha palakon par thithaki Haar nahi manunga rar nahi thanunga Kaal ke kapal pe likhata mitata hoon Geet naya gata hoon ~~~ - Atal Bihari Vajpayee

Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics – Rahat Indori

Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics – Rahat Indori किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है लिरिक्स इन हिंदी  अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द्द में यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है मैं जानता हूँ की दुश्मन भी कम नहीं... लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है जो आज साहिब-इ-मसनद है कल नहीं होंगे किराएदार है जाती मकान थोड़ी है सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है - राहत इंदौरी ♦ ♦♦♦♦♦♦♦♦ Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics in English Agar khilaaf hai hone do jaan thodi hain Ye sab dhua hai koi aasman thodi hain Lagegi aag to aayege ghar kai jad me Yaha pe sirf hamara makan thodi hain Hamare muh se jo nikle wahi sadaqat hain Hamare muh me tumhari zuban thodi hain Mai jaanta hu ke dushman bhi kam nahi lekin Hamari tarh hatheli pe jaan thodi hain Jo aaj sahib-e-masnand hai kal nahi hoge Kirayedaar hai jati makan thod

Ek Sawli Si Ladki Ek Bawli Si Ladki Lyrics Anjum Rahbar

एक सांवली सी लाडकी लिरिक्स हिंदी  एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी कच्ची  है उम्र जीस की कुच दिन से जान जीस की चाहत मे खो गइ है दीवानी हो  गइ  है एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी क्या जाने ख्वाब किसका आँखों में है संभाले कुछ सोचती है शब भर मुँह पर लीहाफ डाले  घर वाले सोचते हैं जल्दी से सो गइ है एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी सुध बुध नही है खुद की सुध बुध  नही है  घर की हर दिन बदल रही है कुरती नये कलर की बेरंग ओढ़नी भी   रंगीन हो गयी है एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी ओ ध्यान ही ना देगी  क्या कह रही है टीचर इक नाम उंगलियों से लिखती रहेगी दिनभर कुछ भी न पढ सकेगी स्कूल तो गइ है एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी खिडकी से झांकती है मां से नजर बचाकर बेचैन हो राही है क्यूँ घर की छत पे जाकर क्या ढूंढती जाने क्या चिज खो गइ है   एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी नानी से अब कहनी सुनती कभी नही है  गुड़ियों से, तितलियों से अब दोस्ती नहीं है नजुक कली भी अंजुम गुलनार हो गइ है एक सांवली सी लाडकी एक बावली सी लाडकी कवयित्री - अंजुम रहबर  🎵🎵🎵💞💞💞🎵🎵🎵 Ek Sawli Si Ladki Lyri

आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू लिरिक्स - विष्णु सक्सेना

Aao ek baar phir se tumhe dekh lu Lyrics in Hindi आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू लिरिक्स - विष्णु सक्सेना  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू  क्या पता फिर ये दर्पण मिले ना मिले  पास आ तन की गंधो को दे दो मुझे  क्या पता फिर ये चन्दन मिले ना मिले  जब मिले तुम तो ऐसा लगा एक पल  सारी खुशिया जहाँ की हमें मिल गई  जाने कैसी हवा बह चली उस घडी  गिर के सुखी हुई सब कली खिल  गई   के छू के देखो जरा अनछुए फूल को  क्या पता फिर ये मधुबन मिले या ना मिले  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू  पोछकर जिनको दामन भिगोती थी तुम  है तुम्हे मेरे उन आंसुओ की कसम  छाँव देकर के तुम ठापती थी जिन्हे  है तुम्हारे उन्ही गेसुओं की कसम  एक झूले पे दो हम चलो झूल ले  क्या पता फिर ये सावन मिले ना मिले   आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू मेरी बेहकी सी बाते अगर है तो फिर  भोले चहरे का रंग क्यों शराबी हुआ  ना ही बरसात है ना ही बरसात है  फिर ये चहरे का रंग क्यों गुलाबी हुआ  लांघना ना कभी  टेहरी प्यार में  चाहे मीरा को मोहन मिले ना मिले  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू कवि  -  विष्णु सक्सेना  💝💝💝 💖 💖 💖

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको लिरिक्स - विष्णु सक्सेना

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको लिरिक्स - विष्णु सक्सेना तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको इससे पहले कि कोई और बहा ले मुझको आईना बन के गुज़ारी है ज़िंदगी मैंने टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको जब भी कहते हो आप हमसे कि अब चलते हैं हमारी आंख से आंसू नहीं संभलते हैं अब न कहना कि संग दिल कभी नहीं रोते जितने दरिया हैं पहाड़ों से ही निकलते हैं प्यास बुझ जाए तो शबनम ख़रीद सकता हूं ज़ख़्म मिल जाएं तो मरहम ख़रीद सकता हूं ये मानता हूं मैं दौलत नहीं कमा पाया मगर तुम्हारा हर एक ग़म ख़रीद सकता हूं सोचता था कि मैं तुम गिर के संभल जाओगे रौशनी बन के अंधेरों को  निगल जाओगे न तो मौसम थे न हालात न तारीख़ न दिन किसे पता थी कि तुम ऐसे बदल जाओगे  तू जो ख़्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे  ग़म के मरुथल में भी बरसात का रेला कर दे  याद वो है ही नहीं आए जो तन्हाई में  तेरी याद आए तो मेले में अकेला कर दे  जो आज कर गयी घायल वो हवा कौन सी है जो दर्दे दिल करे सही वो दवा कौन सी है तुमने इस दिल को गिरफ़्तार आज कर तो लिया अब ज़रा ये तो बता दो दफ़ा कौन सी है कवि: विष्णु सक्सेन

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें - शबीना अदीब

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें Lyrics - शबीना अदीब खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें  गझल हिंदी   ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत रंगत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ा रखते हैं नरम अपना तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है बमों की बरसात हो रही है पुराने जांबाज़ सो रहे हैं गुलाम दुनिया को कर रहा वो जिसकी ताकत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है