आज दुल्हन के लाल जोड़े में उसे उसके सखियों ने सजाया होगा, मेरी जान के गोरे हाथों पे मेहँदी को लगाया होगा, बहोत गहरा चढ़ा होगा मेहँदी का रंग, उस मेहँदी में उसने मेरे नाम छुपाया होगा. रह-रह के रो पड़ी होगी, जब उनको मेरा ख़याल आया होगा, खुद को देखा होगा जब आईने में तो, अक्स मेरा भी नज़र आया होगा, बहुत प्यारी लग रही होगी वो, आज देख कर उसको चाँद भी शरमाया होगा. आज मेरी जान ने अपने माँ बाप की इज़्ज़त को बचाया होगा, उसने बेटी होने का हर फ़र्ज़ निभाया होगा मजबूर होगी आज वो सबसे ज़्यादा, सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा, अपने हाथों से हमारे खतों को जलाया होगा, खुद को मजबूत बना कर मेरी यादों को मिटाया होगा, भूखी होगी वो जानता हूँ मैं, मेरे बिना उसने कुछ न खाया होगा, कैसे संभाला होगा खुद को, जब उसने फेरों में खुद को जलाया होगा आज दुल्हन के लजाल जोड़े में उसे उसकी सखियों ने सजाया होगा...