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किसी चीज से डरो मत। तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है।
पहले हर अच्छी बात का मज़ाक बनता है, फिर उसका विरोध होता है, और फिर उसे स्वीकार कर लिया जाता है।
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
किसी दिन , जब आपके सामने कोई समस्या ना आये – आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप गलत मार्ग पर चल रहे हैं।
स्वतंत्र होने का साहस करो। जहाँ तक तुम्हारे विचार जाते हैं वहां तक जाने का साहस करो , और उन्हें अपने जीवन में उतारने का साहस करो।
वेदान्त कोई पाप नहीं जानता , वो केवल त्रुटी जानता है। और वेदान्त कहता है कि सबसे बड़ी त्रुटी यह कहना है कि तुम कमजोर हो , तुम पापी हो , एक तुच्छ प्राणी हो , और तुम्हारे पास कोई शक्ति नहीं है और तुम ये वो नहीं कर सकते।
जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
भला हम भगवान को खोजने कहाँ जा सकते हैं अगर उसे अपने ह्रदय और हर एक जीवित प्राणी में नहीं देख सकते।
तुम्हे अन्दर से बाहर की तरफ विकसित होना है। कोई तुम्हे पढ़ा नहीं सकता , कोई तुम्हे आध्यात्मिक नहीं बना सकता . तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरु नहीं है।
यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता , तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
हम जितना ज्यादा बाहर जायें और दूसरों का भला करें, हमारा ह्रदय उतना ही शुद्ध होगा , और परमात्मा उसमे बसेंगे।
बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है।
जिस क्षण मैंने यह जान लिया कि भगवान हर एक मानव शरीर रुपी मंदिर में विराजमान हैं , जिस क्षण मैं हर व्यक्ति के सामने श्रद्धा से खड़ा हो गया और उसके भीतर भगवान को देखने लगा - उसी क्षण मैं बन्धनों से मुक्त हूँ , हर वो चीज जो बांधती है नष्ट हो गयी , और मैं स्वतंत्र हूँ।
जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आये - आप यकीन कर सकते है की आप गलत रस्ते पर सफर कर रहे है।मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
यह जीवन अल्पकालीन है, संसार की विलासिता क्षणिक है, लेकिन जो दुसरो के लिए जीते है, वे वास्तव में जीते है।
एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो।
भगवान् की एक परम प्रिय के रूप में पूजा की जानी चाहिए , इस या अगले जीवन की सभी चीजों से बढ़कर।
जब तक आप खुद पे विश्वास नहीं करते तब तक आप भागवान पे विश्वास नहीं कर सकते।
सत्य को हज़ार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा।
विश्व एक व्यायामशाला है जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।