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School ke purane din | शाला के पुराने दिन | हिंदी स्टोरी

  नौंवीं कक्षा में मैंने विज्ञान की  कॉपी नहीँ बनाई थी और कॉपी चेक कराने का भयंकर दबाव था...... मैडम भी बहुत सख्त थी, पता चलता उनको तो उल्टा ही टांग देतीं😢😭   पूरे नौ अध्याय हो चुके थे...... लड़के 40- 40 रुपए वाले रजिस्टर भर चुके थे और मेरे पास रजिस्टर के नाम पर बस एक रफ़ कॉपी में ही थी 😐 दो रात एक मिनट भी नींद नहीं आई,  ऊपर से हेड सर् को पता चलने का डर 😞 इस प्रकार चेकिंग का दिन आ ही गया 😰 मैडम ने चेकिंग शुरू की 🤢 18 रोल नंबर वालों तक की कॉपी चेक हुईं और घंटी बज गई, मैंने राहत की सांस ली..... 😁 तभी मैडम ने जल्दी जल्दी में कहा:- सभी बच्चे अपनी अपनी कॉपी जमा करके दे दो, मैं चेक करके भिजवा दूंगी..... 🙄 तभी मेरा शातिर दिमाग घूमा🤔, और मैं भीड़ में कॉपियों तक गया और जैसे अलजेब्रा में मान लेते हैं   ठीक वैसे ही मैंने भी मान लिया कि कॉपी मैंने जमा कर दी ......😁😁 अब कॉपी की जिम्मेदारी मैडम की..... 😉 दो दिन बाद सबकी कॉपी आई लेकिन मेरी नहीं आई...आती भी कैसे......?☺️☺️😊😃😂 मैं मैडम के पास गया और बोला:- मैडम जी, मेरी कॉपी नहीं मिली...🤔 वो बोलीं:- मैं चेक कर लूंगी, स्टाफ रूममें होगी.....