सहती रहो माँ ने कहा था। सहती जाओगी तो धरती कहलाओगी दादी ने कहा। फिर वो भी कभी बही सरिता बन कभी पहाड़ हो गई कभी किसी अंकुर की माँ हो गई पर मुँह से एक शब्द भी नहीं निकाला। एक स्त्री से अन्य तक पहुँची यही बात सब अपनी-अपनी जगह होती चली गई जड़वत् बनती चली गई धरती जैसी। हर धरती के आसपास रहा कोई चाँद तपिश भी देता रहा कोई सूरज तब से पूरा का पूरा सौर मंडल साथ लिए घूमने लगी है स्त्री ।
भक्ति शायरी *⛳हमसे उम्मीद मत रखना की हम कुछ और लिखेंगे..🤕,* हम कट्टर हिन्दू हैं साहब💫जब भी लिखेंगे 📝जय श्री राम लिखेंगे..😇🙏🏻!!* *⚜️"किसी की पहचान की जरूरत नहीं हमें,...😇🙏🏻* *⚜️"लोग हमारा चेहरा देखकर💫 ही जय श्री राम बोल देते हैं..😍🚩!!* * *⛳जय श्री राम🙏🏻🚩* *⚜️"माला से 🌸मोती तुम तोडा ना करो, धर्म से मुहँ तुम मोड़ा ना करो,...😏* *⚜️"बहुत कीमती है (जय श्री राम )का नाम,जय श्री राम बोलना कभी छोड़ा ना करो..😇🙏🏻🚩!!* * *जय जय श्री राम🚩* *🌄भोर सुहानी🌄* *रिश्ते अंकुरित होते हैं प्रेम से.!* **जिन्दा रहते हैं संवाद से.!* *महसूस होते हैं संवेदनाओं से.!* **जिए जाते हैं दिल से.!* *मुरझा जाते हैं गलतफहमियों से.!* **और* *बिखर जाते हैं अहंकार से.!* *🙏 मंगलमय प्रभात 🙏* 😘प्यारे कान्हा...!! तुम्हारी 📸तस्वीर खींची थी मैंने, अब तुम्हारी 📸तस्वीर खींचती है मुझे...!! 🙏🏼 जय श्रीकृष्णा 🙏🏼 🔔♥️🔱♥️🔔 ॐ नमः शिवाय श्री महाकाल भस्मारती श्रृंगार दर्शन ...