सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

Kavita लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता Whatsapp status,facebook status -shubhkamnayestatus

मुन्सी प्रेमचंद जी की एक सुंदर कविता ________________________________ _ख्वाहिश नहीं मुझे_ _मशहूर होने की,_         _आप मुझे पहचानते हो_         _बस इतना ही काफी है._ _अच्छे ने अच्छा और_ _बुरे ने बुरा जाना मुझे,_         _क्यों की जिसकी जितनी जरूरत थी_         _उसने उतना ही पहचाना मुझे._ _जिन्दगी का फलसफा भी_ _कितना अजीब है,_         _शामें कटती नहीं और_         _साल गुजरते चले जा रहें है._ _एक अजीब सी_ _दौड है ये जिन्दगी,_         _जीत जाओ तो कई_         _अपने पीछे छूट जाते हैं और_ _हार जाओ तो_ _अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं._ _बैठ जाता हूँ_ _मिट्टी पे अकसर,_         _क्योंकि मुझे अपनी_         _औकात अच्छी लगती है._ _मैंने समंदर से_ _सीखा है जीने का सलीका,_         _चुपचाप से बहना और_         _अपनी मौज मे रेहना._ _ऐसा नहीं की मुझमें_ _कोई ऐब नहीं है,_         _पर सच कहता हूँ_         _मुझमें कोई फरेब नहीं है._ _जल जाते है मेरे अंदाज से_ _मेरे दुश्मन,_               _क्यों की एक मुद्दत से मैंने, .... न मोहब्बत बदली       और न दोस्त बदले हैं._ _एक घडी खरीदकर_ _हाथ मे क्या बांध ली_         _व

बचपन की वो यादे बहुत याद आती है - कविता , whatsapp status, facebook status ,childhood memories

बचपन की यादे  _____________________________________________ जब  बचपन  था,  तो  जवानी  एक  सपना था... जब  जवान  हुए,  तो  बचपन  एक  ज़माना  था... !! जब  घर  में  रहते  थे,  आज़ादी  अच्छी  लगती  थी... आज  आज़ादी  है,  फिर  भी  घर  जाने  की  जल्दी  रहती  है... !! कभी  होटल  में  जाना  पिज़्ज़ा,  बर्गर  खाना  पसंद  था... आज  घर  पर  आना  और  माँ  के  हाथ  का  खाना  पसंद  है... !!! स्कूल  में  जिनके  साथ  झगड़ते  थे,  आज उनको  ही  इंटरनेट और वाट् सप व फेसबुक पे  तलाशते  है... !! ख़ुशी  किसमे  होतीं है,  ये  पता  अब  चला  है... बचपन  क्या  था,  इसका  एहसास  अब  हुआ  है... काश  बदल  सकते  हम  ज़िंदगी  के  कुछ  साल.. .काश  जी  सकते  हम,  ज़िंदगी  फिर  एक बार...!! जब हम अपने शर्ट में हाथ छुपाते थे और लोगों से कहते फिरते थे देखो मैंने अपने हाथ जादू से गायब कर दिए | जब हमारे पास चार रंगों से लिखने वाली एक पेन हुआ करती थी और हम सभी  बटनों को एक साथ दबाने की कोशिश किया करते थे |  जब हम दरवाज़े के पीछे छुपते थे ताकि अगर कोई आये तो उसे डरा सके.. जाने कहां खो गई वो बचपन की अमीरी जब पानी में हमारे भी जहाज चला कर

बरसात के मौसम पर कुछ नये अंदाज में कविता - happy Mansoon Kavita, whatsapp, sms -shubhkamnayestatus

          Happy mansoon to all of you बारिश पड़े तो भागिए नहीं....... छत नहीं खोजिये........ छाते कभी-कभार बंद रखिये...... किस बात का डर है......? भीग जायेंगे न...........? तो क्या हुआ......  पिघलेंगे नहीं.. ... .फिर से सूख जायेंगे.. .... तेजाब नहीं बरस रहा है........ आपकी 799 वाली टी-शर्ट भी सूख जायेगी.... ब्रांड भी उसका Levis से Lebis नहीं हो जायेगा..... ... मोबाइल पालीथिन में कस के रख लीजिये..... सड़क साफ़ है.. .....कोई नहीं आएगा....... उस स्ट्रीट लैम्प की पीली रौशनी में डिस्को करती बूंदों को देखिये.......... थोड़ा धीरे चलिए....... जल्दी पहुंच के भी क्या बदल जाना है...... बारिश बदलाव है....... मौसम का....  मन का..... कल्पनाओं का....... और लाइफ के गियर का...... दिमाग से दिल की तरफ........ सब धुल रहा है........  प्रकृति सब कुछ धो रही है.. ........ आप क्यूँ उसी मनहूसियत की चीकट लपेटे घूम रहे हैं......... याद कीजिये...........  वो कागज़ की नाव, कॅालेज/कोचिंग  में भीगे सिर आए वो लड़की, लड़के, बारिश में जबरदस्ती नाचने को खींच कर ले गये दोस्त........ सब चलते-चलते याद कीजिये......... दुहराना आसान

बेटी पर सुंदर कविता। very nice poem on daughter । भारत की बेटियाँ [shubhkamnayestatus]

बेटी जब शादी के मंडप से... ससुराल जाती है तब ..... पराई नहीं लगती. मगर ...... जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है. जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है. जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है. लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती 😪 नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना कुछ ना देना मुझको बस प्यार बनाए रखना पापा के इस घर में म