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Dard Minnat-Kash-e-Dava Na Hua - Mirza Ghalib

Dard Minnat-Kash-e-Dava Na Hua - Mirza Ghalib दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ दर्द मिन्नत-कश-ए-दवा न हुआ मैं न अच्छा हुआ बुरा न हुआ जम्अ करते हो क्यूँ रक़ीबों को इक तमाशा हुआ गिला न हुआ हम कहाँ क़िस्मत आज़माने जाएँ तू ही जब ख़ंजर-आज़मा न हुआ कितने शीरीं हैं तेरे लब कि रक़ीब गालियाँ खा के बे-मज़ा न हुआ है ख़बर गर्म उन के आने की आज ही घर में बोरिया न हुआ क्या वो नमरूद की ख़ुदाई थी बंदगी में मिरा भला न हुआ जान दी दी हुई उसी की थी हक़ तो यूँ है कि हक़ अदा न हुआ ज़ख़्म गर दब गया लहू न थमा काम गर रुक गया रवा न हुआ रहज़नी है कि दिल-सितानी है ले के दिल दिल-सिताँ रवाना हुआ कुछ तो पढ़िए कि लोग कहते हैं आज 'ग़ालिब' ग़ज़ल-सरा न हुआ - मिर्ज़ा ग़ालिब Dard Minnat-Kash-e-Dava Na Hua Lyrics In English Dard minnat-kash-e-dava na hua Main na achchha hua bura na hua Jam karate ho kyun raqibo ko Ek tamasha hua gila na hua Hum kahan qismat aazamane jayen Tu hi jab khanjar-aazama na hua Kitane sheerin hain tere lab ki raqeeb Gaaliyan kha ke be-maza na hua Hai khabar garm un ke aane ki Aaj hi ghar mein bor

Aah Ko Chahiye Ek Umra Asar Hote Tak - Mirza Ghalib

Aah Ko Chahiye Ek Umra Asar Hote Tak - Mirza Ghalib आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक दाम-ए-हर-मौज में है हल्क़ा-ए-सद-काम-ए-नहंग देखें क्या गुज़रे है क़तरे पे गुहर होते तक आशिक़ी सब्र-तलब और तमन्ना बेताब दिल का क्या रंग करूँ ख़ून-ए-जिगर होते तक हम ने माना कि तग़ाफ़ुल न करोगे लेकिन ख़ाक हो जाएँगे हम तुम को ख़बर होते तक परतव-ए-ख़ुर से है शबनम को फ़ना की ता'लीम मैं भी हूँ एक इनायत की नज़र होते तक यक नज़र बेश नहीं फ़ुर्सत-ए-हस्ती ग़ाफ़िल गर्मी-ए-बज़्म है इक रक़्स-ए-शरर होते तक ग़म-ए-हस्ती का 'असद' किस से हो जुज़ मर्ग इलाज शम्अ हर रंग में जलती है सहर होते तक ईमाँ मुझे रोके है जो खींचे है मुझे कुफ़्र काबा मिरे पीछे है कलीसा मिरे आगे आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे ख़ुश होते हैं पर वस्ल में यूँ मर नहीं जाते आई शब-ए-हिज्राँ की तमन्ना मिरे आगे है मौजज़न इक क़ुल्ज़ुम-ए-ख़ूँ काश यही हो आता है अभी देखिए क्या क्या मिरे आगे गो हाथ को जुम्बिश नहीं आँखों में तो दम है रहने दो अभी स

Mat Puchh Ki Kya Haal Hai Mera Tire Pichhe - Mirza Ghalib

Mat Puchh Ki Kya Haal Hai Mera Tire Pichhe - Mirza Ghalib बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे इक खेल है औरंग-ए-सुलैमाँ मिरे नज़दीक इक बात है एजाज़-ए-मसीहा मिरे आगे जुज़ नाम नहीं सूरत-ए-आलम मुझे मंज़ूर जुज़ वहम नहीं हस्ती-ए-अशिया मिरे आगे होता है निहाँ गर्द में सहरा मिरे होते घिसता है जबीं ख़ाक पे दरिया मिरे आगे मत पूछ कि क्या हाल है मेरा तिरे पीछे तू देख कि क्या रंग है तेरा मिरे आगे सच कहते हो ख़ुद-बीन ओ ख़ुद-आरा हूँ न क्यूँ हूँ बैठा है बुत-ए-आइना-सीमा मिरे आगे फिर देखिए अंदाज़-ए-गुल-अफ़्शानी-ए-गुफ़्तार रख दे कोई पैमाना-ए-सहबा मिरे आगे नफ़रत का गुमाँ गुज़रे है मैं रश्क से गुज़रा क्यूँकर कहूँ लो नाम न उन का मिरे आगे - मिर्ज़ा ग़ालिब Bazicha-E-Atfaal Hai Duniya Mire Aage Lyrics In English Bazicha-e-atfaal hai duniya mire aage Hota hai shab-o-roz tamasha mire aage Ik khel hai aurang-e-sulaiman mire nazadik Ik baat hai ejaaz-e-masiha mire aage Juz naam nahin surat-e-aalam mujhe manzur Juz vaham nahin hasti-e-ashiya mire a

Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish Pe Dam Nikle - Mirza Ghalib Ghazal

Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish Pe Dam Nikle - Mirza Ghalib हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले डरे क्यूँ मेरा क़ातिल क्या रहेगा उस की गर्दन पर वो ख़ूँ जो चश्म-ए-तर से उम्र भर यूँ दम-ब-दम निकले निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले भरम खुल जाए ज़ालिम तेरे क़ामत की दराज़ी का अगर इस तुर्रा-ए-पुर-पेच-ओ-ख़म का पेच-ओ-ख़म निकले मगर लिखवाए कोई उस को ख़त तो हम से लिखवाए हुई सुब्ह और घर से कान पर रख कर क़लम निकले हुई इस दौर में मंसूब मुझ से बादा-आशामी फिर आया वो ज़माना जो जहाँ में जाम-ए-जम निकले हुई जिन से तवक़्क़ो' ख़स्तगी की दाद पाने की वो हम से भी ज़ियादा ख़स्ता-ए-तेग़-ए-सितम निकले मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले कहाँ मय-ख़ाने का दरवाज़ा 'ग़ालिब' और कहाँ वाइ'ज़ पर इतना जानते हैं कल वो जाता था कि हम निकले - मिर्ज़ा ग़ालिब Hazaron Khwahishen Aisi Ki Har Khwahish

Har Ek Baat Pe Kahate Ho Tum Ki Tu Kya Hai - Mirza Ghalib

Har Ek Baat Pe Kahate Ho Tum Ki Tu Kya Hai  - Mirza Ghalib हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तुगू क्या है न शोले में ये करिश्मा न बर्क़ में ये अदा कोई बताओ कि वो शोख़-ए-तुंद-ख़ू क्या है ये रश्क है कि वो होता है हम-सुख़न तुम से वगर्ना ख़ौफ़-ए-बद-आमोज़ी-ए-अदू क्या है चिपक रहा है बदन पर लहू से पैराहन हमारे जैब को अब हाजत-ए-रफ़ू क्या है जला है जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा कुरेदते हो जो अब राख जुस्तुजू क्या है रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है वो चीज़ जिस के लिए हम को हो बहिश्त अज़ीज़ सिवाए बादा-ए-गुलफ़ाम-ए-मुश्क-बू क्या है पियूँ शराब अगर ख़ुम भी देख लूँ दो-चार ये शीशा ओ क़दह ओ कूज़ा ओ सुबू क्या है रही न ताक़त-ए-गुफ़्तार और अगर हो भी तो किस उमीद पे कहिए कि आरज़ू क्या है हुआ है शह का मुसाहिब फिरे है इतराता वगर्ना शहर में 'ग़ालिब' की आबरू क्या है - मिर्ज़ा ग़ालिब Har Ek Baat Pe Kahate Ho Lyrics In English Har ek baat pe kahate ho tum ki tu kya hai Tumheen kaho ki ye

Tu Gazal Ban Kar Meri Ruh Me - Romantic Love Shayari

Romantic Love Shayari For Girlfriend Tu  Gazal  Ban Kar Meri  Ruh  Me Utar Gai,... Kaise Kahu...  Jane Mann  Se...  Jane Wafa  Ban Gai!!! Tu Gazal Ban Kar Meri Ruh Me - Romantic Love Shayari रोमॅंटिक लव शायरी गर्लफ्रेंड के लिए तू ग़जल  बन कर मेरी रुह   में उतर गई, … कैसे कहूँ … जाने  मन से … जाने वफा़ बन गई !!! More Romantic Shayari

Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics - Ramneek

राहत इंदौरी को उन्ही की भाषा में विनम्र जवाब - किसीके बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है के लिए --- राहत इंदौरी जी ने जो बातें छुपे तरीके से अपनी ग़ज़ल में किये है  उनको इससे अच्छा जवाब हो ही नहीं सकता। ...  आपकी क्या राय हैं कमेंट में जरूर बताये। ...   Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics - Ramneek किसीके बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है लिरिक्स  खफा होते है हो जाने दो, घर के मेहमान थोड़ी है जहाँ भर से लताड़े जा चुके है, इनका मान थोड़ी है ये कृष्ण-राम की धरती, सजदा करना ही होगा मेरा वतन ये मेरी माँ है, लूट का सामान थोड़ी है मैं जानता हूँ, घर में बन चुके है सैकड़ों भेदी जो सिक्कों में बिक जाए वो मेरा ईमान थोड़ी है मेरे पुरखों ने सींचा है इसे लहू के कतरे कतरे से बहुत बांटा मगर अब बस, खैरात थोड़ी है जो रहजन थे उन्हें हाकिम बना कर उम्र भर पूजा मगर अब हम भी सच्चाई से अनजान थोड़ी है ? बहुत लूटा फिरंगी तो कभी बाबर के पूतों ने ये मेरा घर है मेरी जाँ, मुफ्त की सराय थोड़ी है आप (राहत इंदौरी) मेरे पसंदीदा शायर थे, होंगे पर मुल्क़ से बढ़कर थोड़ी हैं!!! वंदे मातरम... जय हिंद...! - रमणीक Kisi Ke Baap Ka Hindusta

Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics – Rahat Indori

Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics – Rahat Indori किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है लिरिक्स इन हिंदी  अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द्द में यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है मैं जानता हूँ की दुश्मन भी कम नहीं... लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है हमारे मुंह में तुम्हारी जुबां थोड़ी है जो आज साहिब-इ-मसनद है कल नहीं होंगे किराएदार है जाती मकान थोड़ी है सभी का खून है शामिल यहाँ की मिटटी में किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है - राहत इंदौरी ♦ ♦♦♦♦♦♦♦♦ Kisi Ke Baap Ka Hindustan Thodi Hain Lyrics in English Agar khilaaf hai hone do jaan thodi hain Ye sab dhua hai koi aasman thodi hain Lagegi aag to aayege ghar kai jad me Yaha pe sirf hamara makan thodi hain Hamare muh se jo nikle wahi sadaqat hain Hamare muh me tumhari zuban thodi hain Mai jaanta hu ke dushman bhi kam nahi lekin Hamari tarh hatheli pe jaan thodi hain Jo aaj sahib-e-masnand hai kal nahi hoge Kirayedaar hai jati makan thod

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें - शबीना अदीब

खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें Lyrics - शबीना अदीब खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें  गझल हिंदी   ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में अभी मोहब्बत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है अभी न आएगी नींद तुमको अभी न हमको सुकूं मिलेगा अभी तो धड़केगा दिल ज्यादा अभी ये चाहत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है बहार का आज पहला दिन है चलो चमन में टहल के आएं फ़ज़ां में खुशबू नयी नयी है गुलों पे रंगत रंगत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जो खानदानी रईस हैं वो मिज़ा रखते हैं नरम अपना तुम्हारा लहज़ा बता रहा है तुम्हारी दौलत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है जरा सा कुदरत ने क्या नवाजा कि आके बैठे हैं पहली सफ़ में अभी से उड़ने लगे हवा में अभी तो शोहरत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है बमों की बरसात हो रही है पुराने जांबाज़ सो रहे हैं गुलाम दुनिया को कर रहा वो जिसकी ताकत नई-नई है ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें दिलों में उल्फत नई-नई है

बुलाती है मगर जाने का नहीं – राहत इन्दौरी

Bulati Hai Magar Jaane Ka Nai Lyrics in Hindi बुलाती है मगर जाने का नहीं  – राहत इन्दौरी 👯👯👯  बुलाती है मगर जाने का नइ  👯👯👯  बुलाती है मगर जाने का नइ  ये दुनिया है इधर जाने का नइ  मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर  मगर हद से गुजर जाने का नइ  कुशादा ज़र्फ़ होना चाहिए  छलक जाने का भर जाने का नइ  सितारें नोच कर ले जाऊँगा  मैं खाली हाथ घर जाने का नइ  वबा फैली हुई है हर तरफ  अभी माहौल मर जाने का नइ  वो गर्दन नापता है नाप ले  मगर जालिम से डर जाने का नइ  – राहत इन्दौरी   बुलाती है मगर जाने का नहीं शायरी 💞💞💞  👯👯👯   💞💞💞 Bulati Hai Magar Jaane Ka Nai Lyrics in Hindi Bulati hai magar jaane ka nai  Ye duniya hai idhar jaane ka nai  Mere bete kisi se ishq kar  Magar had se gujar jaane ka nai  Kushaada zarf hona chahiye  Chhalak jaane ka bhar jaane ka Nai  Sitare noch kar le jaaunga  Mein khali haath ghar jaane waala nai  Waba faili hui hai har taraf  Abhi maahaul mar jaane ka nai  Wo gardan naapta hai, naap le  Magar zaalim se dar jaane ka nai  – Rahat Indori  ग़ज़ल / कविता  –  Bulati Hai Ma