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तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है !

तुझे खोना भी मुश्कील है, तुझे पाना भी मुश्कील है. जरा सी बात पर आंखें भीगो के बैठ जाते हो, तुझे अब अपने दील का हाल बताना भी मुश्किल है, उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेकीन, तेरी खातीर सीतारे तोड़ कर लाना भी मुश्कील है, यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं, कीस के दील में क्या है नज़र आना भी मुश्कील है, तुझे जींदगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली, पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्कील है

दिल चाहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझको !

दिल चाहता है ज़माने से छुपा लूँ तुझको, दिल की धड़कन की तरह दिल में बसा लूँ तुझ को. कोई एहसास जुदाई का न रह पाये, इस तरह खुद में मेरी जान छुपा लूँ तुझको. तू जो रूठ जाये मुझ से मेरे दिल के मालिक, साड़ी दुनिया से खफा हो कर मना लूँ तुझको. जब मैं देखूं तेरे चेहरे पे उदासी का समा, बस यह चाहूँ किसी तरह हंसा लूँ तुझको. तू कभी जब दुनिया से बेज़ार हो जाये , दिल यह चाहे की बाहों में छुपा लूं तुझ को!

बना लो क़रीब कोई ठिकाना मिलना आसान हो जाए

दफ़न हु उस के घर के पास कब्रिस्तान में, मगर फिर भी वो रोती है,  खुद ही तो कहा करती थी , बना लो क़रीब कोई ठिकाना मिलना आसान हो जाए.

मेरी जान के गोरे हाथों पे मेहँदी को लगाया होगा

आज दुल्हन के लाल जोड़े में उसे उसके सखियों ने सजाया होगा, मेरी जान के गोरे हाथों पे मेहँदी को लगाया होगा, बहोत गहरा चढ़ा होगा मेहँदी का रंग, उस मेहँदी में उसने मेरे नाम छुपाया होगा. रह-रह के रो पड़ी होगी, जब उनको मेरा ख़याल आया होगा, खुद को देखा होगा जब आईने में तो, अक्स मेरा भी नज़र आया होगा, बहुत प्यारी लग रही होगी वो, आज देख कर उसको चाँद भी शरमाया होगा. आज मेरी जान ने अपने माँ बाप की इज़्ज़त को बचाया होगा, उसने बेटी होने का हर फ़र्ज़ निभाया होगा मजबूर होगी आज वो सबसे ज़्यादा, सोचता हूँ किस तरह उसने खुद को समझाया होगा, अपने हाथों से हमारे खतों को जलाया होगा, खुद को मजबूत बना कर मेरी यादों को मिटाया होगा, भूखी होगी वो जानता हूँ मैं, मेरे बिना उसने कुछ न खाया होगा, कैसे संभाला होगा खुद को, जब उसने फेरों में खुद को जलाया होगा आज दुल्हन के लजाल जोड़े में उसे उसकी सखियों ने सजाया होगा...

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम से रोना आया.

ऐ मोहब्बत तेरे अंजाम से रोना आया. ना जाने क्यों आज तेरे नाम से रोना आया, यु तो हर शाम उम्मीद में गुज़र जाती हैं. आज कुछ बातें याद आयी तो शाम पे रोना आया. कभी तक़दीर, कभी मातम,कभी दुनिया का गिला, मंज़िल-इ-इश्क़ के हर काम पे रोना आया जब हुआ ज़माने में मोहब्बत का ज़िक्र. मुझे अपने दिल-इ-नाकाम पे रोना आया

किसी को मेरी मौत से खुशी मिल जाए...तो क्या बात हो

किताबो के पन्नों को पलट के सोचता हूँ, यूँ पलट जाए मेरी ज़िंदगी तो क्या बात हो ख्वाबो में जो रोज़-रोज़ मिलती है हकीकत में मिल जाए, तो क्या बात हो मतलब के लिए तो सब ढूँढ़ते हैं मुझको बिन मतलब के जो पास आये कोई...तो क्या बात हो कत्ल करके तो सब ले जायेंगे दिल मेरा कोई बातों से ले जाए तो क्या बात हो जिंदा रहने तक ख़ुशी दूँगा सबको किसी को मेरी मौत से खुशी मिल जाए...तो क्या बात हो !

आपको चाहने वाला सारा जहाँ निकला

मैंने सोचा आपको चाहने वाला सिर्फ मैं हूं, आपको चाहने वाला सारा जहाँ निकला, सोचा खुदा से इसकी शिकायत करूँ, पर वो भी आपको चाहने वाला निकला !

आग उगलते हैं तेरे शहर के लोग

कैसे आऊं तेरे शहर की ओर, आग उगलते हैं तेरे शहर के लोग, मैं तो टूटा एक साक का पत्ता हूँ, फूल तक कुचलते हैं तेरे घर के लोग.