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आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू लिरिक्स - विष्णु सक्सेना

Aao ek baar phir se tumhe dekh lu Lyrics in Hindi आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू लिरिक्स - विष्णु सक्सेना  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू  क्या पता फिर ये दर्पण मिले ना मिले  पास आ तन की गंधो को दे दो मुझे  क्या पता फिर ये चन्दन मिले ना मिले  जब मिले तुम तो ऐसा लगा एक पल  सारी खुशिया जहाँ की हमें मिल गई  जाने कैसी हवा बह चली उस घडी  गिर के सुखी हुई सब कली खिल  गई   के छू के देखो जरा अनछुए फूल को  क्या पता फिर ये मधुबन मिले या ना मिले  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू  पोछकर जिनको दामन भिगोती थी तुम  है तुम्हे मेरे उन आंसुओ की कसम  छाँव देकर के तुम ठापती थी जिन्हे  है तुम्हारे उन्ही गेसुओं की कसम  एक झूले पे दो हम चलो झूल ले  क्या पता फिर ये सावन मिले ना मिले   आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू मेरी बेहकी सी बाते अगर है तो फिर  भोले चहरे का रंग क्यों शराबी हुआ  ना ही बरसात है ना ही बरसात है  फिर ये चहरे का रंग क्यों गुलाबी हुआ  लांघना ना कभी  टेहरी प्यार में  चाहे मीरा को मोहन मिले ना मिले  आओ एक बार फिर से तुम्हे देख लू कवि  -  विष्णु सक्सेना  💝💝💝 💖 💖 💖

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको लिरिक्स - विष्णु सक्सेना

तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको लिरिक्स - विष्णु सक्सेना तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको तू हवा है तो कर ले अपने हवाले मुझको इससे पहले कि कोई और बहा ले मुझको आईना बन के गुज़ारी है ज़िंदगी मैंने टूट जाऊंगा बिखरने से बचा ले मुझको जब भी कहते हो आप हमसे कि अब चलते हैं हमारी आंख से आंसू नहीं संभलते हैं अब न कहना कि संग दिल कभी नहीं रोते जितने दरिया हैं पहाड़ों से ही निकलते हैं प्यास बुझ जाए तो शबनम ख़रीद सकता हूं ज़ख़्म मिल जाएं तो मरहम ख़रीद सकता हूं ये मानता हूं मैं दौलत नहीं कमा पाया मगर तुम्हारा हर एक ग़म ख़रीद सकता हूं सोचता था कि मैं तुम गिर के संभल जाओगे रौशनी बन के अंधेरों को  निगल जाओगे न तो मौसम थे न हालात न तारीख़ न दिन किसे पता थी कि तुम ऐसे बदल जाओगे  तू जो ख़्वाबों में भी आ जाए तो मेला कर दे  ग़म के मरुथल में भी बरसात का रेला कर दे  याद वो है ही नहीं आए जो तन्हाई में  तेरी याद आए तो मेले में अकेला कर दे  जो आज कर गयी घायल वो हवा कौन सी है जो दर्दे दिल करे सही वो दवा कौन सी है तुमने इस दिल को गिरफ़्तार आज कर तो लिया अब ज़रा ये तो बता दो दफ़ा कौन सी है कवि: विष्णु सक्सेन