मैंने बसाया था..
तुम्हें अपने दिल में..
भगवान सा..
गुमान था मुझे..
तुम पर बहुत..
मगर क्यों ना हो सका..
तेरी बेवफाई का..
जरा भी भान सा..
क्या करु मैं अब..
तेरे विचार..
बदल सकता नहीं..
तुम्हें तो चाहिये था..
एक शख्स..
बड़ा धनवान सा ..
सब्र किया होता..
मैं भी एक..
काबिल इंसान था..
तेरे बारे में..
सोचा बहुत..
सोचने से खुद को..
रोका बहुत..
फिर भी..
आ ही जाता है ..
दिल में..
तेरी यादों का..
तूफ़ान सा..
मेरा दिल तो कभी..
तेरा अपना घर था..
खुशियो से भरा भरा..
आज एक खण्डहर है..
वीरान सा..
गलत तू थी कि..
मैं था..
यह हम दोनों के..
दरम्यान था..
चाहत मेरी..
दिल में ही..
दफॅन हो गई कहीं...
तेरी बेवफाई से..
उभर ना पाया..
हमारे बीच में आया..
कौन शैतान था..
कदर तूने ना की..
मेरे प्यार की कभी..
ना समझा जो मेरा..
तुझ पर अहसान था ..
शोहरत दौलत..
मिले ना मिले..
इस जीवन में..
एक साथी मिले..
प्यारा सा दिलबर..
इंसान सा..
दौलत की..
ख्वाईश को चुना तूने..
चाहे दौलत के पिछे..
छुपा हैवान था..
क्या उमंगे तेरी..
पूरी होंगी अब..
जिंदगी का रुख..
खुद मोड़ा तूने..
पत्थर बन..
प्यार भरा दिल..
तोड़ा तूने..
तुझे क्या पता..
उस दिल में..
तेरा ही भगवान था ..!!
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कविता की विवेचना:
दिल में भगवान था/Dil me Bhagwan tha कविता आज के तथाकथित भौतिक और आधुनिक युग में प्यार कहाँ खो गया है. किसी को पता नहीं.
मतलब और पैसा यह आज के दौर का खेल कैसा, सब इसी अजीब खेल में उलझे हुये हैं, सच्चे प्यार की तलाश है, सच्चा प्यार मिला भी तो उसकी कदर कहाँ.
प्यार एक खामोशी है, प्यार एहसास है, महसूस करना होता है, जताया गया प्यार धोखा है, प्यार एक वादा है, कुर्बानी का इरादा है.
जहाँ प्यार वहाँ स्वयं भगवान हैं, सब जानी जान हैं, प्यार भरे दिलों में ईश्वर बसता है, और जहां ईश्वर बसता है वहाँ जहां की सारी खुशिया अपने आप मिलती हैं, कोई दुख नहीं हर कोई हसता है.
"दिल में भगवान था " कविता में दिल तोड़ने वाले ने तोड़ दिया, धोखा देना था दे दिया, इस बात से अनजान कि उसने भगवान को नाराज किया है, जिस दिल को तोड़ा वही तो भगवान था.
...इति...
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