जीवन पृथ्वी की..
एक छोटी सी..
यात्रा है..
इस यात्रा में..
तुम्हारे हर एक्शन पर..
फुल स्ताप, कोमा..
और मात्रा है..
दृष्टि तुझ पर..
हर पल रखता..
जगत विधाता..
तेरा जीवन दाता..
ईश्वर ने हमें..
रिटर्न वीजा पर..
यहां भेजा है..
उनके पास तेरी..
जीवन डोर..
और धडकता तेरा..
कलेजा है..
यात्रा में..
रास्ते से ना भटको ..
ईश्वर के बताये..
मार्ग पर चलते रहो..
कहीं मोह माया..
लोभ व्यभिचार..
रिश्तों नातों में..
मत अटको ..
वर्ना पड़ेगा भारी..
तेरे कर्मों पर..
चलेगी आरी ..
बन्द होंगे..
स्वर्ग के द्वार..
खुलेंगे नरक के किवाड़..
यात्रा का शुभारंभ..
कोमल भोला चेहरा..
नन्हा सा बच्चा..
लगता है प्यारा..
सबको अच्छा..
बचपन का वरदान..
मौज मस्ती..
और किलकारियाँ..
बीतते ही बचपन..
घेरती दुख चिन्ता..
और बीमारियाँ..
इस बीच..
जवानी का विश्राम..
भी आता है..
गुलछर्रे आनंद..
परमानंद..
प्रेम प्रसंग..
सब कुछ मिलता है..
जीवन बहुत भाता है..
यहां सयम है जरूरी..
वापिस भी जाना है..
ना समझो..
इसे मजबूरी..
यात्रा समाप्ति का..
वक्त आते आते..
खींच जाती..
चिंता की रेखाएँ..
क्यों मन..
वापिस जाने का..
नहीं बन पाता..
झुर्रियां बीमारियाँ..
लेकर आता बुढ़ापा..
खुशी खुशी कर लो..
वापसी की तैयारी..
वर्ना सज़ा है..
बड़ी भीषण" बीमारी"...
ईश्वर को..
रिपोर्ट किया जायेगा..
तुम्हें जबरदस्ती..
डिपोर्ट किया जायेगा..
सजा के रूप में..
नर्क का द्वार..
खुला मिलेगा..
यातनाओं से..
तेरा कलेजा हिलेगा ..
ईश्वर से भी..
हो जायेगी दूरी..
84 लाख योनी..
भुगताने की मजबूरी..
जिसने की..
नियमों अनुसार..
जीवन यात्रा..
हर पल ईश्वर को..
याद रखा..
कहीं इधर उधर..
ना भटका..
वापसी का था..
इरादा पक्का..
तो वापसी का इंतजाम..
ससम्मान होगा..
तुम होगे ईश्वर के..
खास मेहमान..
प्रभु संग रहोगे..
स्वर्ग लोक धाम..!!
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कविता की विवेचना:
जीवन यात्रा कविता इस मृत्यु लोक में एक अल्प सफर की कहानी है, जो अनंत काल से है पुरानी है.
अनंत काल से जन्म मरण जारी है, आना जाना लगा है, कहाँ से आते और वापिस कहाँ जाते किसी को नहीं पता, फिर भी स्वर्ग नरक की परिकल्पना इन्सान ने की है.
हम प्रकृति और ईश्वर का एक हिस्सा हैँ, अल्प समय के लिए इस पृथ्वी पर आये हैं एक यात्री की तरह ,हमारे आने जाने की अवधि ईश्वर द्वारा पूर्व निर्धारित है.
एक निश्चित समय पर हमे वापिस जाना है यह तय है और पक्का है, तब भी इंसान मोह माया और भौतिक सुख में पड जाता है और वापिस जाना नहीं चाहता.
"जीवन यात्रा "कविता एक जीवन की अल्प अवधि की यात्रा का वृतांत है, ईश्वर में आस्था रख इस यात्रा का निर्वहन किया जाये तो विश्वास है कि हम ईश्वर के नजदीक रहेंगे और इस यात्रा को सफ़लता पूर्वक पूरा करके पुन्हा ईश्वर के साघेण्या में सरण पायेंगे.
...इति...
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