प्यार व्यापार बन गया..
दिल जलों का..
त्यौहार बन गया..
दिल की लगने लगी बोलियां..
जिसने ज्यादा पैसा फैका ..
दिल उसी का हो लिया..
फिर किसी ने टोका है..
प्यार एक धोखा है..
नोक झोक तकरार..
ऐसा ही है अब प्यार..
सपनों से खिलवाड़..
प्यार अब है व्यापार..
सुख है तो प्रीत है..
तब ही प्रेम का गीत है..
दुख में सन्नाटा है..
प्यार में देखा जाता..
नफा है या घाटा है..
घाटे का सोदा नहीं होना..
फिर क्यों है रोना धोना..
प्यार का एकलौता फूल..
नहीं लगता है प्यारा..
अलग अलग फ़ूलों की..
खुशबू ले भंवरा आवारा..
तेरा फूल अब हुआ मेरा..
जो कल तक था तेरा..
मोल भाव कर लिया ..
वो अब है मेरा पिया ..
कली जब फूल बनी..
तितली बन उड़ चली..
भंवरे आये करते गुंजन..
फूल पर हुये मगन..
फूल ने पंखुड़िया फैलाई..
खूशबू भंवरे को भाई..
आजकल जिंदा लासै..
घूम रही हैं..
दिल बस खाली खोखा है..
प्यार आजकल धोखा है..
एक ही सूरत से प्यार..
जंचता नहीं..
प्यार में धोखा ना हो..
खाना पचता नहीं..
सूरत बदलती रहनी चाहिये..
कुछ दिनों में..
एक नयी सूरत चाहिये..
कर लो फिर इकरार..
नयी सूरत से झूठा प्यार..
मिला जब तुम्हें मौका है..
प्यार आजकल धोखा है..
नया मीत ना मिला..
तो लड़ाई का बहाना है..
दीवारों से सर टकराना है..
आसमान सर पे उठाना है..
क्यों प्यार का पागलपन है..
हक नहीं अगर धन कम है..
करो पहले धन का जुगाड़..
तब ही है प्यार का अधिकार..
प्यार अब बाजार में बिकेगा..
महंगा प्यार ही टिकेगा..
फिर भी कोई गारंटी नहीं..
नये की तलाश रहेगी कहीं..
गर मिल गया कोई अच्छा..
तो पुराने को फिर..
मिलेगा गच्चा..
आजकल यही है चर्चा..
नये मीत पर करो खर्चा..
फिर नज़र रखो पैनी..
बनेगी एक और प्रेम कहानी..
यह दौर है धोखे का..
प्यार अब खेल है मौके का..
गर्दन इस खेल में..
मासूम की ही कटनी है..
जहां प्यार का नाम आया..
दुर्घटना जरुर घटनी है..
मासूमों का..
यहा कोई काम नहीं..
मासूमों को..
प्यार के नाम से नोचा है..
सावधान प्यार अब धोखा है..!!
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कविता की विवेचना:
प्यार एक धोखा/Pyar ek dhokha कविता आज के परिप्रेक्ष्य में प्यार एक धोखे का मौका बन रह गया है.
प्यार की पवित्रता, त्याग, पारदर्शिता, कुर्बानी कब के लोप हो चुके हैं, प्यार एक धोखे बाजी का खेल और माखौल बन रह गया है, प्यार की अच्छाई जा चुकी है.
प्यार के नाम से अब सिर्फ खेल है, किसी भी ढंग से प्यार के नाम हथियाना है, तोल मोल के घाटे नफे का अंदाज लगाना है, अगर नफा दिखा नोच खाना है, आखिरी बूंद निचोड़ फिर ठुकराना है.
फिर नये मुर्गे की तलाश, जब तक नहीं बुझती प्यास,
लगे कई कयास अगर मिल गया कोई अच्छा तो पुराने को अचानक गच्चा.
पुराना सिर पिट लेगा या हो जायेगा पागल, मगर इस भी किसी को कोई फर्क़ नहीं पडता, ना हमदर्दी ना था प्यार, ये तो एक सौदा था मन बहलाने का.
अब ऊब गया दिल तो क्या करें, नया आजमाने की आदत है पुराना चाहे अपनी मौत मरे, किसने रोका है, प्यार बस छलने का मौका है.
"प्यार एक धोखा "कविता पश्चिम से आयातित कल्चर
रेखांकित करती है, लिव इन और प्यार के नाम नये आयाम जिसमें एक दूसरे के सोसण के मौके तलाश किये जाते हैं.
जो चालाक होता है बाजी मार जाता है, सीधा दिल की मार खाता है, तड़फॅ के रह जाता है.
यहां- कोई सिद्धांत लागू नहीं होते, कोई दोस्त यार या भाई की चादर ओड ठगता है. और इस धोखे मक्कारी को अपनी जीत मानता है. अगर दुनिया इस ओर जा रही तो नरक यही है, इंसान अब जानवर पशु हो गया है, कुत्ते बिल्ली का खेल हो गया आज का प्यार, बचे इससे संसार.
..इति..
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