तेरी पसन्द को मैं बना लू अपना..
जो तेरा सपना है, वही मेरा सपना..
जिन वादियों में तुम्हें है पसंद जाना..
उन्हीं वादियों में मेरा भी ठिकाना..
ये अम्बर ख्वाबों का आकाश तुम्हारा ..
मुझको भी लगता है उतना ही प्यारा..
तेरी पसंद को बना लू मैं अपना..
जो तेरा सपना है वही मेरा सपना..
आते ना तुम तो वीरान थी जिन्दगी.
आई हैं बहारें जिंदगी में तेरे बहाने से..
जिन्दगी जिंदादिल है, आपके आने से..
आये हैं जीवन में सुर ,तेरे गाने से..
तेरी पसन्द को बना लू अपना मैं अपना..
जो तेरा सपना है, वही मेरा भी सपना..
तेरे लिये चाहत जागी जो दिल में ..
राहत सी मिली, चल पडी बोझिल जिन्दगी..
तेरे राह में पलकें दिन रात बिछाना है..
तेरी तारीफ में ज़िन्दगी बिताना है..
तेरी पसंद को बना लू मैं अपना..
जो तेरा सपना है वही मेरा भी सपना..
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कविता की विवेचना:
तेरा सपना मेरा सपना/Tera sapna mera sapna कविता/गीत प्रेमी प्रेमिका की एक दूसरे के प्रति समर्पण की भावना को व्यक्त करती है.
समर्पण को व्यक्त करने के लिये शब्द कम पडते हैं, तब भी कोशिश इस गीत में की गई है, आज के आधुनिक युग में समर्पण प्यार को भौतिक सुविधाओं ने ढक दिया है, समर्पण प्यार आज लोप हो चुका है.
लैला मजनू, हीर रांझा किस्से हो कर किताबों में बंद पडे हैं, आज के युवा इन किस्सों को व्यर्थ का भावनात्मक तर्क समझते हैं.
जब इंसान भौतिकवाद से ऊब जायेगा, इंसान को इंसान नहीं
भायेगा एक बार फिर सच्चे प्रेम का ज़माना आयेगा.
इंतजार है उस समय का फिर यह पृथ्वी स्वर्ग सी होगी और जीवन एक अमृत का प्याला.
..इति..
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