होगी किसी के..
ख्वाबों में वो..
हमारे ख्वाबों में..
अब आती नहीं..
मेरी शक्ल उसे..
बिल्कुल भाती नहीं..
कोई मिल गया होगा..
हमसफर नया..
हमारी कदर ..
उसे भाती नहीं..
फिक्र तब भी है..
कहीं धोखा ना मिले..
दिल टूटने के सिलसिले..
क्यों चिंता करते हो..
उसे ना रही परवाह तेरी..
आंखे फेर ली उसने..
जला दी तस्वीर तेरी..
खुशिया देकर भी तुम..
खुश ना कर सके उसको..
उम्मीदे थी हजारो लाखों..
क्या करें गर ना समझ सको..
तेरी सादगी मासूमियत..
शायद वहम था मेरा ..
चक्रव्यूह समझ ना पाया..
काश मैं भी चालाक होता..
खिलौना क्यों बना दिल..
किसी का मन बहला..
खेल खाल तोड़ दिया..
किसे परवाह जो दर्द हुआ..
काश कह दिया होता..
ऊब गई है सूरत से..
मैं कहीं गुमनाम होता..
अपना दिल तो ना खोता..
हा माना भूल हुई..
जान से बढ़कर चाहा..
भागा छाये के पीछे..
छाये हकीकत नहीं होते ..
पलक झपकते भुला दिया..
काश मेरी फितरत होती..
मेरी आत्मा ना रोती..
लगेगा जमाना भुलाने में..
खंडहर सी हो गयी दुनिया..
क्या करु तेरे फैसले का..
भा गया तुझे कोई और..
मुबारक आबाद रहो..
जश्न मेरी बर्बादी का करो..
जान कर या अनजाने में..
खता किससे हुयी..
कोन घायल हुआ..
कैसा चलन है ज़माने में..
दुवा ही निकलती है..
बददुवा हो नहीं सकती..
चाहत की सच्ची..
भुक्त रहा हूं मैं सज़ा..
खुश रहो तुम सदा..!!
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कविता की विवेचना:
चाहत असली नकली/Chahat Asali Nakli कविता आज के तथाकथित आधुनिक ज़माने में प्यार की परिभाषा बदल गई है, उसी को इंगित करती यह कविता है.
चाहत मोल भाव सोदा है, प्यार का मॉल है, जहा प्यार बिकता है कभी कोई भा गया कभी किसी पर दिल आ गया .
तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही अंत तक चुनाव जारी रहता है, परमानैट चुनाव हो नहीं पाता क्यों कि कभी दिल इस पर और किसी और पर आता मगर उसके बाद भी कोई और है भाता ,धन दौलत से है ज्यादा नाता.
सच्चे प्यार की जगह "लाइव इन "ने ले ली, जॅम गया तो ठीक वर्ना कोई और सही, इसी चुना चुनी में पूरी लाइफ निकल जाती है.
मगर अंत तक चाहत फिक्स नहीं हो पाती, यह नये ज़माने का प्यार का विकृत रूप है, वो ज़माने गये जब प्यार निस्वार्थ था, प्यार एक बार ही होता था उस प्यार में या जान जाती थी या प्यार सफल होता था, वो सात जन्मों वाला नाता था.
प्यार चाहत का व्यापारीकरण मानवता का अन्त है.
अंत में इंसान जानवरों की श्रेणी में आ जायेगा.
प्यार चाहत नाम की चीज़ ना रहेगी बाकी, प्यार कुत्ते बिल्ली का खेल हो जायेगा.
...इति...
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