(1)
मेरे महबूब की, हर अदा एक ग़ज़ल
मुझको लगती है उसकी, दुआ एक ग़ज़ल 
उसकी नज़रों से मेरी,नज़र जब मिले
मेरी रग रग में पिघले,सदा एक ग़ज़ल 
उसकी खुशबु उड़े,तो मचल जाये दिल
लग रही है मुझे,अब हवा एक ग़ज़ल 
उसकी जुल्फों का एहसास,मखमल सा है
गा रही है बिखर कर,लटा एक ग़ज़ल
नैन,नक्श,जुल्फ,हुस्न से,सजेगी ग़ज़ल
हो रही मेरे दिल में,जवां एक ग़ज़ल
                            (2)
मेरे महबूब की, हर अदा एक ग़ज़ल 
मुझको लगती है उसकी, दुआ एक ग़ज़ल 
यूँ तो हम थे बड़े, काम के आदमी 
कर गयी मुझको मुझसे, जुदा एक ग़ज़ल 
इश्क़ की राह में, तुम संभल कर चलो 
तुमको कर देगी तुमसे, ख़फ़ा एक ग़ज़ल 
ग़र ग़ज़ल दिल के तह तक, पहुंच जाये तो 
लगने लगती है फिर, मयकदा एक ग़ज़ल 
हम मिलेंगे तुम्हें, काफिये की जगह 
बन गयी है हमारा, पता एक ग़ज़ल 
                             (3)
मेरे महबूब की, हर अदा एक ग़ज़ल 
मुझको लगती है उसकी, दुआ एक ग़ज़ल 
मेरे ज़ख्मों में आई, काम मेरी ग़ज़ल 
डायरी में रखा था, छुपा एक ग़ज़ल 
प्यार की राह में, चोट खाए हैं जो 
उनको लगती है जैसे, दवा एक ग़ज़ल 
एक उम्मीद से, आये हैं सब यहाँ 
उनके दिल से करेगी, वफा एक ग़ज़ल 
जिंदा हैं हम अभी, आयेगी वो कभी 
कर के मुझसे गयी, वायदा एक ग़ज़ल 
                               (4)
मेरे महबूब की हर अदा एक ग़ज़ल 
मुझको लगती है उसकी दुआ एक ग़ज़ल 
प्यार के फूल दिल में ग़र, हैं मुरझा गये 
ऐसे दिल के लिए है, बागबां एक ग़ज़ल 
भरना था ज़ख्म उल्टा, हरा कर दिया 
पड़ गयी है गले बन, बला एक ग़ज़ल 
ग़ज़ल की बस्ती में, मैंने हाल ए दिल पढ़ा
हो गयी सुन के खुद, ग़मज़दा एक ग़ज़ल 
जब भी सुनिए ग़ज़ल, प्यार दें मान दें 
रखती है खुद भी दिल, काँच सा एक ग़ज़ल 
                           ~Shailendra Kumar Mani 
