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तुझ पर गजल कहूँ या पूरी किताब लिख डालूं |
तू हकीकत है या कोई ख्वाब लिख डालूं |
समझ में नहीं आता की तुझे काँटा
कहूँ या गुलाब लिख डालूं |
. अपने होठों से यूँ ना मेरा जिक्र किया कर |
लोगों शक होता है,बेवजह यूँ ना
मेरी इतनी फिक्र किया कर |
शायर........
उसने मेरी नजरों को चुराया जो हुआ था ।
ख्वाबों में ही सही,मगर बाँहों में भर लो |
खुलकर अपना ख्याल बताती है |
हर बार भरोसा तोड़ने का दावा करते हो,
इतना ही बुरा हूँ मैं, तो छोड़ क्यों नहीं देते |
. वो अभी सुकून में है,किसी और का होकर |
कल रोएगी, मुझे खोकर |