जो मुकम्मल नहीं वो इश्क़ नहीं है क्या
जो हासिल नहीं वो इश्क़ नहीं है क्या
एक तरफ़ा प्यार में सिर्फ रास्ते ही हैं
जो मंजिल नहीं वो इश्क़ नहीं है क्या
इश्क़ करने की चीज़ है जरूरी नहीं पाया जाए
जो तिजारत नहीं वो इश्क़ नहीं है क्या
दिलों पर एक दूसरे का नाम लिख दिया जाए
जो वसीयत नहीं वो इश्क़ नहीं है क्या
इश्क़ कोई खेल नहीं ये आग का दरिया है
जो मुश्किल नहीं वो इश्क़ नहीं है क्या
~शैलेन्द्र कुमार मणि
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मुझे भी प्यार हुआ था एक बार
पर उस रिश्ते का कोई नाम नहीं
प्यार हो जाना बहुत आसान है
आसान काम करना आसान नहीं
मुझसे जाहिर ना हुआ प्यार कभी
डर था कहीं नाम हो बदनाम नहीं
प्यार में पड़ने को बेपरवाही चाहिए
परवाह करते हुए ये आसान नहीं
~शैलेन्द्र कुमार मणि
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तेरे मिलने के दिन
फिर बिछड़ने के दिन
याद आते हैं अब
पर क्या फायदा
क्यूँ कि तू ही नहीं
अब दिल में मेरे
मिल भी गई तो वो
सुनहरा एहसास न होगा
फिर भी सोचता रहता हूं
ये सोच कर कि
कुछ वक़्त कट जाएगा
~शैलेन्द्र कुमार मणि
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