Inspiring Stories in Hindi About Narendra Modi
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1990 की घटना... आसामसे दो सहेलियाँ रेलवेमें भर्ती हेतु गुजरात रवाना हुई. देल्ही स्टेशन परगाडी बदलकर आगे का सफ़र उन्हेंतय करना था लेकिन पहलीगाड़ी में कुछ लड़को ने उनसे छेड़-छाड़ की इस वजहसे अगली गाड़ी में तो कम सेकम सुखद सफ़र हो यह आशामन में रखकर भगवान से प्रार्थना करतेहुए दोनों सहेलियाँ स्टेशन पर उतर गयीऔर भागते हुए रिजरवेशन चार्ट तक पहुंची और चार्ट देखने लगी. चार्ट देख दोनों परेशान और भयभीत होगयी क्यों की उनका रिजर्वेशनकन्फर्म नहीं हो पाया था.
मायूस और न चाहते हुए भी उन्होंने नज़दीक खड़े TC से गाड़ी में जगह देने के लिए विनती की TC ने भी गाड़ी आने पर कोशिश करने का आश्वासन दिया... एक दूसरे को शाश्वती देते दोनों गाड़ी का इंतज़ार करने लगी आख़िरकार गाड़ी आ गयी और दोनों जैसे तैसे कर गाड़ी में एक जगह बैठ गए... अब सामने देखा तो क्या! सामनेदो पुरूष बैठे थे. पिछले सफ़र में हुई बदसलूकी कैसे भूल जाती लेकिन अब वहा बैठनेके अलावा कोई चारा भी नहीं थाक्यों की उस डिब्बेमें कोई और जगह ख़ालीभी नहीं थी। गाडी निकल चुकी थी और दोनोंकी निगाहें TC को ढूंढ रहीथी शायद कोई दूसरी जगह मिल जाये। कुछ समय बाद गर्दी को काटते हुएTC वहा पहुँच गया और कहने लगाकही जगह नहीं और इस सीटका भी रिजर्वेशन अगलेस्टेशन से हो चूकाहै कृपया आप अगले स्टेशनपर दूसरी जगह देख लीजिये. यह सुनते हीदोनों के पैरो तलेजैसे जमीन ही खिसक गयीक्यों की रात कासफ़र जो था. गाड़ीतेज़ी से आगे बढ़नेलगी. जैसे जैसे अगला स्टेशन पास आने लगा दोनों परेशान होने लगी लेकिन सामने बैठे पुरूष उनके परेशानी के साथ भयकी अवस्था बड़े बारीकी से देख रहेथे जैसे ही अगला स्टेशन आया दोनो पुरूष उठ खड़े होगए और कहा " ठीक है हम मैनेज करेंगे " और उन्होंने तेजी से फर्श पर एक कपड़ा फैला दिया और सो गए, अब दोनों लड़कियोने उनकी जगह पकड़ ली और गाड़ीनिकल पड़ी। दोनोंसहेलियाँ यह देख अचम्भितहो गयी और डर भीरही थी जिस प्रकार पिछले सफ़र मेंहुआ उसे याद कर डरते सहमतेसो गयी... सुबह चाय वाले की आवाज़ सुननींद खुली दोनों ने उन पुरूषोंको धन्यवाद कहा तो उनमे सेएक पुरूष ने कहा " बेहेनजी गुजरात में कोई मदद चाहिए हो तो जरुरबताना " ... अब दोनों सहेलियोंका उनके बारे में मत बदल चूकाथा खुद को बिना रोकेएक लड़की ने अपनी बुकनिकाली और उनसे अपनानाम और संपर्क लिखनेको कहा... दोनों ने अपना नामऔर पता बुक में लिखा और "हमारा स्टेशन आ गया है" ऐसाकह के उतर गए और गर्दीमें कही गुम हो गए !
दोनों सहेलियों ने उस बुक में लिखे नाम पढ़े वो नाम थे नरेंद्र मोदी और शंकर सिंह वाघेला...
इस लेख की लेखिका फ़िलहाल ( दिनांक 1 जुन 2014)General Manager of the centre for Railway Information System Indian Railway New Delhi मेंकार्यरत है और यहलेख "The Hindu " इस अंग्रेजीपेपर में "A train journey and two names to remember " इस नामसे प्रकाशित हुआ..( दिनांक 1 जुन 2014)
तो क्या आप अब भी ये सोचते है की हमने गलत प्रधानमन्त्री चुना है?
ये कहानी पवन यादव जी ने फेसबुक पे पोस्ट की है।