New Year नया साल
(1)
कुछ सोच लो आगे क्या करना है
बदलना है या पहले जैसा रहना है
डूबे हो तो उभरो
ठहरे हो तो चलो
कुछ करने की ठानो
नया साल आ गया है
दरिया बनो तुम लहर बनो
अंधेरा चीरने वाला सहर* बनो
सवालों का जवाब बनों
कल नहीं आज ही आज बनों
नया साल आ गया है
मंजिल के लिए ज़िद पालो
मेहनत की बारिश में नहा लो
खुद में दफन हो तो निकलो
ज़िन्दा ज़हन हो तो चलो
नया साल आ गया है
नफरत से तुम अकड़ जाओगे
सूखे पेड़ की तरह उखड़ जाओगे
ज़िन्दा कभी सूखते नहीं
मुश्किलों से टूटते नहीं
सूखे पेड़ नहीं हो तुम हिलो
हरे भरे पेड़ हो तुम जी भर खिलो
नया साल आ गया है
(सहर*=सुबह)
- Shailendra K Mani
(2)
घर से निकला था मै
दिन नया साल था
ऐसे नजरें मिली कि
वो शरमा गई
मेरे मासूम दिल को
वो धड़का गई
मुड़ के देखा जो मैने
वो घबरा गई
तेरे जैसा ही बिल्कुल
मेरा हाल था
दिन नया साल था
दिन नया साल था
प्यार के जैसा कुछ
दिल को छू के गया
दोस्तों ने कहा
प्यार हो ही गया
मेरे दिल में खुशी
लब पे इनकार था
बाद में मैंने माना
हां मुझे प्यार था
दिन नया साल था
दिन नया साल था
घर से निकला था मै
दिन नया साल था
- Shailendra K Mani
(3)
नया साल बस शिक्षा का हो
अब तो अंत अशिक्षा का हो
मन से त्याग के
जाति धरम
करो परिष्कृत
अपना करम
नये साल कुछ नया करो
खुल के खुद को बयां करो
सुखमय पल आने वाला हो
जीवन में साफ उजाला हो
नया साल इस इच्छा का हो
नया साल बस शिक्षा का हो
अच्छा रख लो
बुरे को त्यागो
सीखो हर उस ठोकर से
जहाँ जहाँ तुम गिरे पड़े
उन उम्मीदों को फैलाओ
जिससे हुए तुम उठ खड़े
जिसमें हमने मापा खुद को
सम्मान उस परीक्षा का हो
नया साल बस शिक्षा का हो
निपुण बनो अभ्यास करो
कुण्ठित भावों का नाश करो
निष्पक्ष ज्ञान है अर्जित करना
नवीन जगत है सृजित करना
प्रण इंसानियत की रक्षा का हो
नया साल बस शिक्षा का हो
- Shailendra K Mani
(4)
कुछ तो जरूर है नये साल में...
जो हमें जगा देता है
अंदर से खड़का देता है
गिरे को उठा देता है
सीधी लाइफ लाइन को
हिला देता है
पिछला साल आइना है
नया साल ये बता देता है
कुछ तो जरूर है नये साल में...
थोड़ा सा जज़्बा दिखाओ
नये साल के साथ हो जाओ
तो सीने में आग लगा देता है
सड़ी गली यादों को राख बना देता है
उम्मीदों का दीप जला देता है
तुम भी कुछ हो ये जता देता है
कुछ तो जरूर है नये साल में...
नामुमकिन को मुमकिन बना देता है
गलतिओं को अतीत में बहा देता है
अंधेरे में रौशनी दिखा देता है
मंजिल पर से पर्दा उठा देता है
थक गया है जो ताने सुन सुन कर
उब गया है जो बासी सी जिंदगी से
' वो '
दिल में जोश भरकर निकल पड़ता है
नयी उम्मीदों से मंजिल को चल पड़ता है
कुछ तो जरूर है नये साल में...
- Shailendra K Mani
(5)
नित जीवन के संघर्षों से
मुश्किल का हल मिल जाता है
मुश्किल को खुशियों में बदलकर
जीना जिसको आता है
टूटे अंतरमन को भी जो
हौसलों से सहलाता है
पूरी उर्जा से उठकर फिर
मंजिल को बढ़ जाता है
सही मायने में समझो तब
जीवन सफल हो जाता है
- Shailendra K Mani